लेखनी कविता -18-Feb-2022 (अनाज )

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धान  की  बाली  अब लहरा रहा है  फसल  पूरा  पककर  हो गया जर्द बेमौसम  बारिश से  फसल  बर्बाद दे आँखो में आँसू और दे गया दर्द पौधों से बीज बनता बीज ...

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